Raja Ka Chunav: Lok-Katha (Manipur) राजा का चुनाव: मणिपुरी लोक-कथा


Raja Ka Chunav: Lok-Katha (Manipur)
राजा का चुनाव: मणिपुरी लोक-कथा
बहुत समय पहले की बात है। मोइराऊ गणराज्य का राजा बूढ़ा हो चला था। वहाँ राजा चुनने की प्रथा भी अनूठी थी। नगर के समझदार व्यक्ति गाँव-गाँव घूमते, जिसे वे अपने से भी चुस्त और सूझ-बूझ वाला समझते, वही उनका राजा होता। गणराज्य को शीघ्र ही नए राजा की जरूरत थी। तलाश शुरू की गई।

काकचिड़ गाँव में तोमना किसान बहुत चतुर था। सभी उसकी बुद्धि और योग्यता का लोहा मानते थे। शाम होते ही सभी किसान उसकी बैठक में आ बैठते। तोमना सबको देश-विदेश की रोचक कथाएँ सुनाता।

घूमते-घूमते वह चुनाव दल तोमना के गाँव में आ पहुँचा। उन्होंने लोगों से पूछा-
'भई, तुम्हारे गाँव में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कौन है?'
गाँव के सबसे छोटे बच्चे ने तुतलाकर कहा, 'क्यों, टुम टोमना को नहीं जानटे?'

चुनाव दल हँस पड़ा। उन्होंने सोचा कि जरूर तोमना किसी पागल का नाम होगा। खैर किसी तरह वे तोमना तक पहुँचे। उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के प्रश्न किया- 'किसान भइया, भोजन के बाद हम नमक क्‍यों परोसते हैं?'

तोमना ने काम करते-करते उत्तर दिया, 'हमारी यही रीति है। इससे फायदा यह होता है कि नमक सारे भोजन को शीघ्र पचा देता है, जिससे कि हमारा हाजमा ठीक रहता है।' फिर तोमना ने लय में गाना शुरू किया-

हाजमा ठीक रहे तो
काम ज्यादा होगा
मेहनत ज्यादा होगी तो
फसल अच्छी होगी
मुनाफा अच्छा आएगा तो
लोग खुशहाल होंगे
लोग खुशहाल होंगे तो
देश तरक्की करेगा
देश तरक्की करेगा तो
राजा तारीफ पाएगा?

चुनावी दल तोमना की हाजिरजवाबी पर मुग्ध हो उठा। उन्होंने अपना असली परिचय छिपाकर उससे दोस्ती गाँठ ली। दोपहर को खेत में सब गप्पें लड़ाने लगे। उनमें से एक बोला, 'मेरे दादा जी के घर का आँगन इतना बड़ा था कि एक छोर से दूसरे छोर पर जाने के लिए टट्टू की सवारी करनी पड़ती थी।'

दूसरे ने और भी लंबी उड़ान भरी। वह बोला, 'मेरे नाना जी का बैल इतना बड़ा था कि उसकी पूँछ को वे रस्सी की जगह इस्तेमाल करते थे।'

तीसरा व्यक्ति भी कम न था। उसने तोमना से कहा, 'मेरी सास के घर ऐसा छायादार वृक्ष है, जिसके नीचे पूरा गाँव आराम कर सकता है।'

अब बारी तोमना की थी। उसने तंबाकू मलते-मलते कहा, 'हमारे पिता जी का ढोलक इतना बड़ा था कि उसकी थाप पूरे नगर में गूँजती थी।'

बस चुनावी दल को किसान की बात काटने का अवसर मिल गया। ये हाथ नचाते हुए कहने लगे, 'ऐसा तो हो ही नहीं सकता। इतना बड़ा ढोलक तुम्हारे पिता जी ने कहाँ रखा, कैसे बनवाया?'

तोमना ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, 'अरे भले लोगो, दादा के आँगन में वह ढोलक रखा था। नाना जी के बैल के चमड़े से मढ़ा था। सासू माँ. के पेड़ की लकड़ी से बना था।'

उसकी बात सुनते ही चुनाव दल ने एक भी क्षण गँवाए बिना बुद्धिमान तोमना को फूलों की माला पहना दी। उन्होंने अपना भावी राजा चुन लिया था।

तोमना से अधिक बुद्धिमान, हाजिरजवाब और मजाकिया राजा उन्हें कहाँ मिलता?

(रचना भोला यामिनी)




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