Chammach Ka Soup: Iceland Folk Tale चम्मच का सूप: आइसलैंड की लोक-कथा


Chammach Ka Soup: Iceland Folk Tale
चम्मच का सूप: आइसलैंड की लोक-कथा
एक बार एक किसान किसी काम से शहर गया । जैसे ही शाम होने लगी, उसे लगा कि उसे तुरंत गांव लौट जाना चाहिए । अगर देर हो गई तो अंधेरे में घर पहुंचना मुश्किल हो जाएगा । वह अपना काम अधूरा छोड़कर गांव की ओर चल दिया ।

वह थोड़ी ही दूर गया था कि अचानक बादल घिर आए, ठंडी हवाएं चलने लगीं । उसने अपनी चाल तेज कर दी । परंतु कुछ ही देर में बूंदा-बांदी होने लगी । किसान ने सोचा कि अगर मैं तेज चलूं तो शायद रात होने से पहले अपने घर पहुंच जाऊंगा ।

परंतु मौसम को यह मंजूर नहीं था । काली घटाओं के कारण जल्दी ही अंधेरा छाने लगा । बारिश भी तेज होने लगी । किसान ने आगे बढ़ना ठीक नहीं समझा । आगे जंगल का खतरनाक रास्ता था । एक तो खराब मौसम, ऊपर से जंगली रास्ता सोचकर किसान डर से मारे कांपने लगा ।

वह एक छोटे-से घर के आगे बरामदे में दुबक कर बैठ गया । परंतु ठंडी हवाओं के कारण उसे सर्दी लगने लगी । रात होते-होते उसे सर्दी के साथ-साथ भूख भी लगने लगी । उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था । वह सोचने लगा कि इस समय थोड़ा-सा कुछ गरम खाने को मिल जाता तो उसकी सर्दी भी मिट जाती और भूख भी कम हो जाती ।

उसने डरते-डरते घर की कुंडी खटखटाई । अंदर से बुढ़िया ने दरवाजा खोला । बुढ़िया उस घर में अकेली रहती थी । उसने हिम्मत करके पूछा - "तुम कौन हो ? और इस तूफानी रात में मेरे दरवाजे पर क्या कर रहे हो ?"
किसान ने विनम्र होते हुए कहा - "मैं एक गरीब किसान हूं । मेरा नाम चोखे है । शहर में कुछ काम से आया था । अब बारिश के कारण यहां फंस गया हूं ।"
बुढ़िया हट्टे-कट्टे जवान को देखकर भीतर से घबरा गई थी । परंतु ऊपर से हिम्मत दिखाते हुए बोली - "तो मुझसे क्या चाहते हो ?"

"मां जी, मुझे बहुत सर्दी लग रही है और साथ ही जोर की भूख लगी है । अगर आप मुझे अंदर आने देंगी और कुछ खिला देंगी तो मैं आपका एहसास जिन्दगी भर नहीं भूलूंगा ।"
बुढ़िया ने उसे टालने की गरज से कहा - "चोखे, मेरे पास आज खाने को कुछ नहीं है, वरना तुम्हें कुछ न कुछ जरूर खिला देती ।"

चोखे की दरवाजे के सामने ही रसोई में एक चम्मच दिखाई दिया । उसने कहा - "कोई बात नहीं मां जी, मैं चम्मच का सूप बना कर पी लूंगा । आपके घर में चम्मच तो है न ?"

रसोई में चम्मच सामने ही पड़ा था, अत: बुढ़िया कुछ बहाना न बना सकी । वह सोचने लगी मुझे तो चम्मच का सूप बनाना नहीं आता और भला चम्मच का सूप कैसे बनता है मैं भी तो देखूं । उसने किसान को भीतर आने दिया ।
किसान ने चूल्हा जला दिया और सूप बनाने के लिए पतीला मांगा । फिर चम्मच को रगड़-रगड़ कर साफ किया । बुढ़िया चोखे को निहार कर देखे जा रही थी ।

किसान ने बड़े पतीले में पानी भर कर उसमें चम्मच डाल दिया । पानी गरम होने लगा । इस बीच किसान ने कहा - "मां जी मेरा नाम तो चोखे है ही, मैं सूप भी बड़ा चोखा बनाता हूं ।"
इतनी देर में पानी से भाप निकलने लगी । किसान बोला - "मां जी जरा-सा नमक होगा ?"
बुढ़िया नमक के लिए भला क्या मना करती, सो नमक का डिब्बा उठाकर किसान को दे दिया । किसान ने आधा चम्मच नमक उसमें डाल दिया और चलाने लगा ।

कुछ ही मिनटों में पानी उबलने लगा । किसान ने उसे निकाल कर चखा । बुढ़िया देखकर हैरान हुई जा रही थी । इतने में किसान बोला - "सूप तो बड़ा स्वादिष्ट बन रहा है, लेकिन इसमें कोई सब्जी पड़ जाती तो मजा आ जाता ।"
"कौन-सी सब्जी चाहिए, एक दो सब्जी तो मेरे पास भी हैं ।" बुढ़िया बोली ।
"टमाटर, लौकी, कद्दू, आलू कुछ भी चलेगा ।" किसान ने कहा ।

बुढ़िया ने सोचा, चलो आज नया सूप सीखने को मिल रहा है, तो उसने तीन-चार टमाटर किसान को दे दिए । किसान ने उन्हें चाकू से काट कर डाल दिया और चम्मच से दबा-दबा कर चलाने लगा ।
किसान बोला - "आज तो वाकई बहुत स्वादिष्ट सूप बना लगता है । बहुत अच्छी खुशबू आ रही है । मैं अभी आपको चखाता हूं ।"

बुढ़िया मन ही मन खुश होने लगी कि आज उसने चम्मच का सूप बनाना सीख लिया है । किसान ने थोड़ा-सा सूप चम्मच में निकाला फिर बुढ़िया से बोला - "मां, जी अगर आप इसे चखने के पहले चुटकी भर चीनी डाल लेंगी तो आपको अधिक स्वादिष्ट लगेगा ।"

बुढ़िया ने चोखे का मतलब समझ लिया कि इसे सूप में डालने के लिए चम्मच भर चीनी चाहिए और किसान ने चीनी सूप में डाल दी । फिर किसान ने चम्मच से सूप को दो कटोरी में डाल दिया । वह बुढ़िया से बोला - "देखिए चम्मच का सूप कितना चोखा बना है ।"
बुढ़िया ने सूप चखा तो दंग रह गई । बोली - "आज तक मैंने चम्मच का सूप न कभी सुना, न चखा, परंतु यह तो वास्तव में बहुत स्वादिष्ट है ।"

बुढ़िया और किसान बैठकर गर्म सूप का आनंद लेने लगे । उनके पास से सर्दी कब की उड़नछू हो चुकी थी ।

(रुचि मिश्रा मिन्की)




Comments

Popular posts from this blog

Phool Ka Mulya : Rabindranath Tagore (Bangla Story) फूल का मूल्य : रबीन्द्रनाथ टैगोर

Sewa Aur Bhakti: Lok-Katha (Nepal) सेवा और भक्ति नेपाली लोक-कथा

Sher Aur Ladka Munshi Premchand शेर और लड़का मुंशी प्रेमचंद