मेहनत का फल: जर्मनी की लोक-कथा


Mehnat Ka Phal: Lok-Katha (German)
मेहनत का फल: जर्मनी की लोक-कथा
राजकुमारी रोजी की खूबसूरती की हर जगह चर्चा थी । सुनहरी आंखें, तीखे नयन-नक्श, दूध-सी गोरी काया, कमर तक लहराते बाल सभी सुंदरता में चार चांद लगाते थे ।
एक बार की बात है । राजकुमारी रोजी को अचानक खड़े-खड़े चक्कर आ गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ी ।
राजवैद्य ने हर प्रकार से रोजी का इलाज किया, पर राजकुमारी रोजी को होश नहीं आ रहा था । राजा अपनी इकलौती बेटी को बहुत चाहते थे ।
उस देश के रजउ नामक ग्राम में विलियम और जॉन नाम के दो भाई रहा करते थे ।

विलियम बहुत मेहनती और चुस्त था और जॉन अव्वल दर्जे का आलसी था । सारा दिन खाली पड़ा बांसुरी बजाया करता था । विलियम पिता के साथ सुबह खेत पर जाता, हल जोतता व अन्य कामों में हाथ बंटाता ।

एक दिन विलियम ने जंगल में तोतों को आदमी की भाषा में बात करते सुना । एक तोता बोला - "यहां के राजा की बेटी अपना होश खो बैठी है, क्या कोई इलाज है ?"

"क्यों नहीं, वह जो उत्तर दिशा में पहाड़ी पर सुनहरे फलों वाला पेड़ है वहां से यदि कोई फल तोड़कर उसका रस राजकुमारी को पिलाए तो राजकुमारी ठीक हो सकती है ।" तोते ने कहा, "पर ढालू पहाड़ी से ऊपर जाना तो बहुत कठिन काम है, उससे फिसलकर तो कोई बच नहीं सकता ।"

विलियम ने घर आकर सारी बात बताई तो जॉन जिद करने लगा कि वह फल मैं लाऊंगा और राजा से हीरे-जवाहरात लेकर आराम की बंसी बजाऊंगा । फिर जॉन अपने घर से चल दिया । मां ने रास्ते के लिए जॉन को खाना व पानी दे दिया ।
जॉन अपनी बांसुरी बजाता पहाड़ी की ओर चल दिया । पहाड़ी की तलहटी में उसे एक बुढ़िया मिली, वह बोली - "मैं बहुत भूखी हूँ । कुछ खाने को दे दो ।"
जॉन बोला - "हट बुढ़िया, मैं जरूरी काम से जा रहा हूं । खाना तुझे दे दूंगा तो मैं क्या खाऊंगा ?" और जॉन आगे चल दिया ।
पर पहाड़ी के ढलान पर पहुचंते ही जॉन का पांव फिसल गया और वह गिरकर मर गया ।

कई दिन इंतजार करने के पश्चात् विलियम घर से चला । उसके लिए भी मां ने खाना व पानी दिया । उसे भी वही बुढ़िया मिली । बुढ़िया के भोजन मांगने पर विलियम ने आधा खाना बुढ़िया को दे दिया और स्वयं आगे बढ़ गया ।

विलियम जब ढलान पर पहुंचा तो उसका पांव भी थोड़ा-थोड़ा फिसल रहा था, वह घास पकड़-पकड़ कर चढ़ रहा था । पर उसे तभी वहां दो तोते दिखाई दिए और उनमें एक-एक तड़पकर उसके आगे गिर गया ।
विलियम को चढ़ते-चढ़ते प्यास भी लग रही थी और उसके पास थोड़ा ही पानी बचा था, फिर भी उसने तोते की चोंच में पानी डाल दिया ।
चोंच पर पानी पड़ते ही तोता उड़ गया और न जाने तभी विलियम का पैर फिसलना रुक गया । विलियम तेजी से ऊपर पहुंचा और सुनहरे पेड़ तक पहुंच गया ।

उसने पेड़ से एक फल तोड़ लिया । फल को तोड़ते ही उसमें जादुई शक्ति आ गई । उसने आंख मुंद ली और जब आंखें खोली तो स्वयं को पहाड़ी से नीचे पाया और उसके सामने वही बुढ़िया खड़ी मुस्करा रही थी ।
वह फल लेकर राजा के महल में पहुंचा और राजा की आज्ञा लेकर उसने फल का रस निकाल कर राजकुमारी के मुंह में डाल दिया ।
रस मुंह में पड़ते ही राजकुमारी ने आंखें खोल दीं । राजकुमारी बोली - "हे राजकुमार, तुम कौन हो ?"

विलियम बोला - "मैं कोई राजकुमार नहीं, एक गरीब किसान हूं ।" इतने में राजा व उसके सिपाही आ गए । राजा बोले - "आज से तुम राजकुमार ही हो वत्स । तुमने रोजी को नई जिन्दगी दी है । बताओ, तुम्हें क्या इनाम दिया जाए ?"

विलियम बोला - "मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, मेरे पास बहुत थोड़ी जमीन है । यदि आप मुझे पांच एकड़ जमीन दिलवा दें तो मैं ज्यादा खेती करके आराम से रह सकूंगा ।"

राजा बोला - "सचमुच तुम मेहनती और ईमानदार हो । तभी तुमने इतना छोटा इनाम मांगा है । हम तुम्हारा विवाह अपनी बेटी रोजी से करके तुम्हारा राजतिलक करना चाहते हैं ।"
विलियम बोला - "पहले मैं अपने माता-पिता की आज्ञा लेना अपना फर्ज समझता हूं ।"

राजा विलियम की मातृ-पितृ भक्ति देखकर गद्गद हो उठा और बोला - "उनसे हम स्वयं ही विवाह की आज्ञा प्राप्त करेंगे । सचमुच तुम्हारे माता-पिता धन्य हैं जो उन्होंने तुम जैसा मेहनती व होनहार पुत्र पाया है ।"

फिर राजा ने विलियम के पिता की आज्ञा से विलियम व रोजी का विवाह कर दिया और उसके पिता को रहने के लिए बड़ा मकान, खेती के लिए जमीन व काफी धन दिया ।
विलियम राजकुमारी के साथ महल में तथा उसके माता-पिता अपने बड़े वैभवशाली मकान में सुखपूर्वक रहने लगे ।




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