Aesops Fables #4 : उत्तरी हवा और सूर्य
एक बार की सूर्य और उत्तरी हवा में बहस छिड़ गई. उत्तरी वायु घमंडी और ज़िद्दी प्रवृत्ति की थी. उसे अपनी शक्ति पर बड़ा अभिमान था. अक्सर वह प्रचंड वेग से बहती और पेड़ों को उखाड़ फेंकती, घरों को गिरा देती, खेतों में खड़ी फसल बर्बाद कर देती थी. उसमें उपस्थित आर्द्रता झीलों और नदियों के पानी को जमा देती थी.
बहस करते हुए वह सूर्य से बोली, “मेरी शक्ति के सामने किसी का ज़ोर नहीं चलता. मैं दुनिया में सबसे ज्यादा शक्तिशाली हूँ. मेरे सामने सब तुच्छ हैं.”
सूर्य नम्रता से बोला, “मेरे विचार से हर किसी में शक्तियाँ भी होती हैं और कमजोरियाँ भी. इसलिए कोई ख़ुद के सबसे शक्तिशाली होने का दावा नहीं कर सकता. ख़ुद पर घमंड करना उचित नहीं है. हमें सबका सम्मान करना चाहिए और सबके साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए.”
उत्तरी हवा तुनककर बोली, “मैं तुम्हारी बात नहीं मानती. मैं सबसे ज्यादा शक्तिशाली हूँ और ये मैं तुम्हें साबित करके दिखाऊंगी.”
“ऐसी बात है, तो अपनी ताकत साबित करने के लिए तैयार हो जाओ. नीचे देखो. धरती पर एक व्यक्ति दुशाला ओढ़े पैदल जा रहा था. तुम उसकी दुशाला उसके शरीर से हटा दो. मैं मान जाऊंगा कि तुम सबसे ज्यादा शक्तिशाली हो.” सूर्य उत्तरी हवा को चुनौती देते हुए बोला.
“इसमें कौन सी बड़ी बात है? कुछ ही देर में उस आदमी की दुशाला धरती पर पड़ी होगी.” कहकर उत्तरी हवा अपने प्रचंड रूप में आ गई. धरती पर धूल भरी आंधी चलने लगी, पेड़-पौधे लहराने लगे, सूखे पत्ते व अन्य सामान उड़ने लगे, मौसम ठंडा होने लगा. पैदल जा रहे व्यक्ति की दुशाला भी हवा के वेग के कारण उड़ने लगी. लेकिन उसने उसे पकड़ लिया और अपने शरीर से कसकर लपेट लिया. उत्तरी हवा ने अपनी प्रचंडता और बढ़ाई, लेकिन उसके साथ ठंड भी बढ़ गई. व्यक्ति ने अपनी दुशाला और कसकर लपेट ली. बहुत प्रयासों के बाद भी उत्तरी हवा उसके शरीर से दुशाला हटा नहीं पाई.
तब सूर्य बोला, “अब तुम देखना कि कैसे ये व्यक्ति ख़ुद-ब-ख़ुद अपनी दुशाला उतार देगा.”
सूर्य ने अपना ताप बढ़ाना शुरू किया. तापमान बढ़ते ही धरती पर जा रहे व्यक्ति को गर्मी लगने लगे. वह पसीना-पसीना हो गया. फिर क्या? उसने खुद ही अपनी दुशाला उतार दी.
यह देखकर उत्तरी हवा बहुत शर्मिंदा हुई. अपने घमंड के कारण उसे सूर्य के सामने नीचा देखना पड़ा. उस दिन के बाद से उसने अपनी शक्ति पर कभी घमंड नहीं किया.
सीख (Moral of the story)
घमंडी का सिर नीचा होता है.
बहस करते हुए वह सूर्य से बोली, “मेरी शक्ति के सामने किसी का ज़ोर नहीं चलता. मैं दुनिया में सबसे ज्यादा शक्तिशाली हूँ. मेरे सामने सब तुच्छ हैं.”
सूर्य नम्रता से बोला, “मेरे विचार से हर किसी में शक्तियाँ भी होती हैं और कमजोरियाँ भी. इसलिए कोई ख़ुद के सबसे शक्तिशाली होने का दावा नहीं कर सकता. ख़ुद पर घमंड करना उचित नहीं है. हमें सबका सम्मान करना चाहिए और सबके साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए.”
उत्तरी हवा तुनककर बोली, “मैं तुम्हारी बात नहीं मानती. मैं सबसे ज्यादा शक्तिशाली हूँ और ये मैं तुम्हें साबित करके दिखाऊंगी.”
“ऐसी बात है, तो अपनी ताकत साबित करने के लिए तैयार हो जाओ. नीचे देखो. धरती पर एक व्यक्ति दुशाला ओढ़े पैदल जा रहा था. तुम उसकी दुशाला उसके शरीर से हटा दो. मैं मान जाऊंगा कि तुम सबसे ज्यादा शक्तिशाली हो.” सूर्य उत्तरी हवा को चुनौती देते हुए बोला.
“इसमें कौन सी बड़ी बात है? कुछ ही देर में उस आदमी की दुशाला धरती पर पड़ी होगी.” कहकर उत्तरी हवा अपने प्रचंड रूप में आ गई. धरती पर धूल भरी आंधी चलने लगी, पेड़-पौधे लहराने लगे, सूखे पत्ते व अन्य सामान उड़ने लगे, मौसम ठंडा होने लगा. पैदल जा रहे व्यक्ति की दुशाला भी हवा के वेग के कारण उड़ने लगी. लेकिन उसने उसे पकड़ लिया और अपने शरीर से कसकर लपेट लिया. उत्तरी हवा ने अपनी प्रचंडता और बढ़ाई, लेकिन उसके साथ ठंड भी बढ़ गई. व्यक्ति ने अपनी दुशाला और कसकर लपेट ली. बहुत प्रयासों के बाद भी उत्तरी हवा उसके शरीर से दुशाला हटा नहीं पाई.
तब सूर्य बोला, “अब तुम देखना कि कैसे ये व्यक्ति ख़ुद-ब-ख़ुद अपनी दुशाला उतार देगा.”
सूर्य ने अपना ताप बढ़ाना शुरू किया. तापमान बढ़ते ही धरती पर जा रहे व्यक्ति को गर्मी लगने लगे. वह पसीना-पसीना हो गया. फिर क्या? उसने खुद ही अपनी दुशाला उतार दी.
यह देखकर उत्तरी हवा बहुत शर्मिंदा हुई. अपने घमंड के कारण उसे सूर्य के सामने नीचा देखना पड़ा. उस दिन के बाद से उसने अपनी शक्ति पर कभी घमंड नहीं किया.
सीख (Moral of the story)
घमंडी का सिर नीचा होता है.
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